चेक बाउंस मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, जानिए क्या है नया नियम Cheque Bounce Rule

By Prerna Gupta

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Cheque Bounce Rule

Cheque Bounce Rule – जब आप किसी को बैंक चेक देते हैं, तो जरूरी होता है कि आपके खाते में उतनी राशि हो जितनी आपने चेक पर लिखी है। अगर खाते में पर्याप्त पैसे नहीं हैं, तो बैंक उस चेक को रद्द कर देता है यानी चेक बाउंस हो जाता है। लेकिन सिर्फ पैसों की कमी ही वजह नहीं होती—कई बार चेक पर किए गए हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते, चेक में कटाई-छंटाई हो जाती है या चेक की वैधता खत्म हो जाती है। ऐसे मामलों में भी चेक बाउंस हो सकता है।

चेक बाउंस को लेकर क्या कहता है कानून?

चेक बाउंस से जुड़े मामलों को “निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881” के तहत देखा जाता है। इसके अनुसार, अगर किसी ने चेक दिया और वो बाउंस हो गया, तो उस व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर उसे 6 महीने से लेकर 2 साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कोर्ट पीड़ित को चेक की राशि से दोगुना तक मुआवजा देने का आदेश भी दे सकती है।

चेक बाउंस होने पर क्या-क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?

जब चेक बाउंस होता है, तो सबसे पहले चेक प्राप्त करने वाला व्यक्ति (लेनदार) चेक देने वाले को कानूनी नोटिस भेजता है। इस नोटिस में 15 दिन के अंदर बकाया राशि चुकाने को कहा जाता है। अगर इस दौरान पैसा नहीं चुकाया जाता है, तो लेनदार अगले 30 दिनों के अंदर अदालत में केस दाखिल कर सकता है। यह केस निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 139 के तहत दर्ज किया जाता है।

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क्या चेक बाउंस होने पर तुरंत जेल होती है?

नहीं, चेक बाउंस होना जमानती अपराध है। इसका मतलब ये है कि आरोपी को गिरफ्तार तो किया जा सकता है, लेकिन उसे तुरंत जमानत भी मिल जाती है। जब तक कोर्ट अपना अंतिम फैसला नहीं देती, तब तक किसी को जेल नहीं भेजा जाता। लेकिन अगर कोर्ट ने आरोपी को दोषी मान लिया, तो फिर जेल की सजा तय है। इसलिए चेक जारी करते वक्त हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए।

दोषी होने पर क्या है अपील और अंतरिम मुआवजे का प्रावधान?

अगर किसी को कोर्ट चेक बाउंस के मामले में दोषी ठहराती है, तो वो व्यक्ति 30 दिनों के अंदर सेशन कोर्ट में अपील कर सकता है। अपील करते समय आरोपी को जमानत मिल सकती है और उसकी सजा को रोका जा सकता है। 2019 में इस कानून में एक बदलाव किया गया, जिसके तहत अब अपील के दौरान आरोपी को शिकायतकर्ता को 20% अंतरिम मुआवजा देना होता है। अगर बाद में आरोपी की अपील स्वीकार हो जाती है, तो यह राशि उसे वापस मिल सकती है।

चेक बाउंस से बचने के लिए क्या सावधानियां रखें?

सबसे जरूरी बात ये है कि चेक जारी करने से पहले अपने खाते में पर्याप्त राशि जरूर रखें। चेक पर किए गए हस्ताक्षर आपके बैंक रिकॉर्ड से मेल खाने चाहिए। कोई भी कट-छंट या अतिरिक्त लिखावट न करें और चेक की वैधता (3 महीने की होती है) का ध्यान रखें। अगर आपको अंदेशा है कि खाते में पर्याप्त पैसा नहीं है, तो चेक देने से पहले उसमें रकम जमा कराएं या दूसरा भुगतान तरीका अपनाएं।

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अगर आपका चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?

अगर गलती से आपका चेक बाउंस हो गया है, तो सबसे पहले उस व्यक्ति से संपर्क करें जिसे आपने चेक दिया था। अगर आपको नोटिस मिला है, तो 15 दिन के अंदर पैसा चुकाने की कोशिश करें। अगर भुगतान में असमर्थ हैं, तो बातचीत से समझौते का रास्ता निकालें। जरूरत हो तो वकील की सलाह लें और सारे डॉक्युमेंट्स संभाल कर रखें ताकि अगर मामला कोर्ट तक जाए, तो आप अपना पक्ष मजबूती से रख सकें।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह के रूप में न लिया जाए। अगर आप चेक बाउंस से जुड़े किसी मामले का सामना कर रहे हैं, तो कृपया किसी योग्य वकील से परामर्श लें जिससे आपको सही और वैधानिक मार्गदर्शन मिल सके।

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