क्या दूसरी पत्नी को भी मिलती है पति की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी? जानिए कानून क्या कहता है  Wife Property Rights

By Prerna Gupta

Published On:

Wife Property Rights May 2025

Wife Property Rights – भारत में प्रॉपर्टी को लेकर अक्सर परिवारों में विवाद होते हैं, और अगर मामला दूसरी शादी का हो तो मामला और पेचीदा हो जाता है। खासकर तब जब दूसरी पत्नी को ये सवाल सताने लगता है – “क्या मुझे पति की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा?” सोशल मीडिया और परिवार-रिश्तेदारों में कई तरह की बातें होती हैं, लेकिन असल सच्चाई क्या है, वो कानून ही बताता है। चलिए इस आर्टिकल में आसान भाषा में जानते हैं कि कानून इस पर क्या कहता है।

पहली पत्नी का अधिकार

सबसे पहले बात करते हैं पहली पत्नी की। अगर शादी वैध है और पति की कोई वसीयत नहीं है, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पहली पत्नी को पति की संपत्ति में कानूनी रूप से हिस्सा मिलता है। पति के जीवित रहने तक संपत्ति पर उनका अधिकार नहीं होता, लेकिन उनके निधन के बाद पत्नी, बच्चे और माता-पिता में संपत्ति का बंटवारा होता है। यानी पहली पत्नी का हक कानूनन सुरक्षित होता है।

दूसरी पत्नी को संपत्ति में हक मिलेगा या नहीं?

अब असली सवाल – दूसरी पत्नी का क्या? इसका जवाब सीधा-सा है: ये इस बात पर निर्भर करता है कि शादी कानून के अनुसार वैध थी या नहीं। अगर दूसरी शादी कानूनी रूप से मान्य है – यानी पति ने पहली पत्नी से तलाक लिया हुआ है या पहली पत्नी की मृत्यु हो चुकी है – तो दूसरी पत्नी को भी पति की संपत्ति में वही अधिकार मिलेगा, जो पहली को मिलता है। लेकिन अगर दूसरी शादी तब हुई जब पहली पत्नी अभी भी शादीशुदा थी और तलाक नहीं हुआ था, तो वो शादी गैरकानूनी मानी जाएगी। ऐसे में दूसरी पत्नी को कोई कानूनी हक नहीं मिलेगा।

यह भी पढ़े:
Lpg cylinder subsidy अब सिर्फ ₹550 में मिलेगा गैस सिलेंडर! जानिए सरकार की नई सब्सिडी स्कीम – LPG Cylinder Subsidy

स्वअर्जित संपत्ति पर क्या हक होता है?

अब बात करते हैं उस प्रॉपर्टी की, जो पति ने खुद की कमाई से बनाई है यानी स्वअर्जित संपत्ति। इस पर पति का पूरा हक होता है और वो चाहे तो इसे किसी को भी दे सकता है – पहली पत्नी को, दूसरी पत्नी को, या फिर किसी NGO को भी। अगर पति ने वसीयत बनाकर दूसरी पत्नी के नाम संपत्ति कर दी है, तो फिर उसे उसका हिस्सा मिलेगा – चाहे शादी कानूनी तौर पर मान्य हो या नहीं।

पैतृक संपत्ति का मामला

पैतृक संपत्ति यानी वो ज़मीन-जायदाद जो पति को उसके पिता या दादा से विरासत में मिली है, उस पर भी पत्नी का हक बनता है – लेकिन फिर वही शर्त है, शादी वैध होनी चाहिए। अगर शादी वैध है, तो दूसरी पत्नी भी इस प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी की हकदार हो सकती है। लेकिन अगर शादी अवैध है, तो कोई हक नहीं बनता।

बिना वसीयत के क्या होता है?

अगर पति की मृत्यु बिना वसीयत के हो जाती है, तो हिंदू उत्तराधिकार कानून लागू होता है। इस कानून के तहत संपत्ति का बंटवारा पत्नी, बच्चों और माता-पिता के बीच होता है। दूसरी पत्नी को तभी हिस्सा मिलेगा जब उसकी शादी वैध मानी गई हो। अवैध शादी की स्थिति में उसे कोई अधिकार नहीं मिलेगा।

यह भी पढ़े:
EPFO Fund EPFO से करोड़ों का रिटायरमेंट फंड कैसे बनाएं – इस गलती से होगा ₹35 लाख का नुकसान! EPFO Fund

बच्चों का क्या?

अब एक और ज़रूरी बात – दूसरी पत्नी से हुए बच्चों का क्या होगा? तो यहां राहत की बात ये है कि भले ही शादी वैध न हो, लेकिन बच्चों को वैध माना जाता है। यानी ऐसे बच्चों को पिता की संपत्ति में हक मिलता है। ये व्यवस्था बच्चों के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई है ताकि उन्हें माता-पिता के कानूनी रिश्ते का खामियाजा न भुगतना पड़े।

अलग-अलग धर्म, अलग कानून

भारत में हर धर्म का अपना मैरिज और इनहेरिटेंस कानून है। जैसे मुस्लिम कानून चार शादियों की इजाजत देता है और सभी पत्नियों को संपत्ति में हिस्सा मिलता है। लेकिन हिंदू, ईसाई और पारसी कानून में एक समय पर एक ही वैध शादी हो सकती है। इसलिए धर्म के आधार पर भी पत्नी के अधिकार अलग हो सकते हैं।

सरकार की कोशिशें

हाल के वर्षों में महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए कानूनों में कई बदलाव हुए हैं। बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक मिला है। लेकिन दूसरी पत्नी के मामले में आज भी सबसे ज़रूरी चीज़ है शादी की वैधता। अगर वो साबित नहीं हो पाती, तो अधिकार की बात ही खत्म हो जाती है।

यह भी पढ़े:
Electricity Department Action बिजली बिल डिफॉल्टरो पर विभाग का सख्त एक्शन, धड़ाधड़ काट जाएंगे बिजली कनेक्शन Electricity Department Action

Disclaimer:

यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है। संपत्ति विवाद और विवाह की वैधता जैसे विषय बेहद जटिल होते हैं और हर केस की अलग परिस्थितियां होती हैं। अगर आपके सामने ऐसा कोई मामला है, तो कृपया किसी योग्य वकील या कानूनी सलाहकार से सलाह लें। कानून समय के साथ बदलता है, इसलिए हमेशा अपडेटेड जानकारी के लिए आधिकारिक या प्रमाणिक स्रोतों पर भरोसा करें।

अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो तो शेयर करें, क्योंकि जानकारी होना भी आज के समय में सबसे बड़ी ताकत है।

यह भी पढ़े:
NHAI Rule अब टोल प्लाज़ा पर देर होने पर नहीं मिलेगा छूट – जानिए नया नियम क्या कहता है NHAI Rule

Leave a Comment